मोदी सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम पर निशाना साधा है. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि जजों को जज बनने के बाद न तो चुनाव का सामना करना पड़ता है और न ही उन्हें जनता की आलोचना का सामना करना पड़ता है.
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भले ही जनता न्यायाधीशों को नहीं बदल सकती, लेकिन जनता न्यायाधीशों के फैसलों और न्याय देने के तरीके को देखती है। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने लिखा है कि केंद्रीय कानून मंत्री ने इस बात से साफ इनकार किया है कि सरकार और न्यायपालिका के बीच कोई खींचतान है. किरेन रिजिजू ने कहा कि वह लगातार चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के संपर्क में हैं और उनके साथ छोटे-बड़े हर मुद्दे पर चर्चा करते हैं. उन्होंने साफ किया कि मोदी सरकार और न्यायपालिका के बीच कोई ‘महाभारत’ नहीं है।
हालांकि, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्राप्त खुफिया एजेंसियों के गुप्त इनपुट को सार्वजनिक करना ‘गंभीर चिंता का विषय’ है. रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि खुफिया एजेंसियों रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की संवेदनशील रिपोर्ट के कुछ हिस्से सार्वजनिक मंच पर रखे गए और ऐसा करना गलत है। रिजिजू ने कहा, ‘रॉ या आईबी की गोपनीय और संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर मैं उचित समय पर प्रतिक्रिया दूंगा।’
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जज के लिए तीन उम्मीदवारों की पदोन्नति पर सरकार की आपत्तियों और अपने ही काउंटर पर प्रकाशित किया था।