पुणे: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान दुनिया के सबसे महान राजनयिक थे। वह शनिवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर में अपनी पुस्तक ‘द इंडिया वे’ के मराठी अनुवाद ‘भारत मार्ग’ के विमोचन के दौरान सवाल-जवाब सत्र में दर्शकों के साथ बातचीत कर रहे थे।
जयशंकर ने कहा, “भगवान श्री कृष्ण और भगवान हनुमान दुनिया के महानतम राजनयिक थे। मैं इसे बहुत गंभीरता से कह रहा हूं।”
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कूटनीति के नजरिए से देखा जाए तो वे किस स्थिति में थे, उन्हें क्या मिशन दिया गया था, उन्होंने स्थिति को कैसे संभाला था।
जयशंकर ने कहा, “हनुमानजी, वह मिशन से आगे गए थे, उन्होंने देवी सीता से संपर्क किया था, लंका जलाई थी..वे एक बहुउद्देश्यीय राजनयिक थे।”
मंत्री ने आज की चर्चा में अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़ी दुनिया की 10 बड़ी रणनीतिक अवधारणाओं के बारे में कहा कि वह महाकाव्य महाभारत की हर अवधारणा के लिए एक समकक्ष दे सकते हैं।
“यदि आप आज कहते हैं कि यह एक बहु-ध्रुवीय दुनिया है, तो उस समय कुरुक्षेत्र (महाभारत की लड़ाई का स्थल) में क्या हो रहा था, वह बहु-ध्रुवीय भारत था, जहाँ विभिन्न राज्य (राज्य) थे, उन्हें बताया गया था ‘आप उनके साथ हैं, आप मेरे साथ हैं’… उनमें से कुछ गुटनिरपेक्ष थे… जैसे बलराम और रुकमा।”
उन्होंने कहा कि अब लोग कहते हैं कि यह वैश्वीकृत दुनिया है, परस्पर निर्भरता है, अड़चन है।
उन्होंने कहा, “अर्जुन की दुविधा क्या थी, यह विवशता थी, कि वह भावनात्मक रूप से अन्योन्याश्रित थे…कि मैं अपने रिश्तेदारों के खिलाफ कैसे लड़ूं। यह भौतिक अन्योन्याश्रितता नहीं थी, बल्कि यह भावनात्मक अन्योन्याश्रितता थी।”
उन्होंने कहा, “हम कभी-कभी कहते हैं कि पाकिस्तान ने ऐसा किया या वह किया, और हम सामरिक धैर्य दिखाएंगे। भगवान कृष्ण ने जिस तरह से शिशुपाल को संभाला वह रणनीतिक धैर्य का सबसे अच्छा उदाहरण है। उन्होंने (भगवान कृष्ण) उन्हें 100 बार माफ कर दिया।”